Sunday, 9 March 2008

स्वयंवर होना चाहिए।

भाई सुना है, पढा़ है कि पुराने जमाने में स्वयंवर का आयोजन किया जाता था जिसमें कन्याएं बन-ठन कर आए राजे-महाराजाओं का बड़े ध्यान से जायजा लिया करती थीं और जो पसंद आता था, उसे जयमाल पहना कर अपना जीवन साथी बना लिया करती थीं। जैसे-जैसे दिन बीतते गए और शोरे पुस्ती बढ़ती गई, लोग जबरन अपने गले में जयमाल डलवाने के लिए अपनी शक्ति का साइनबोर्ड टांगे हुए स्वयंवर में तशरीफ ले जाते थे। पृथ्वीराज चौहान और

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