Thursday, 4 August 2005

हमने मीडिया प्रभारी बनना सीख लिया

वैसे जनाब इतना समझ लीजिए कि जो नुस्खा यहां बतलाने के लिए कलम घिसी जा रही है वह मरहूम हकीम लुकमान और भाई लक्ष्मण की चंगा करने वाले सुषेण वैध के पास भी नहीं था। काबिलीयत में उनके दस ग्राम की भी कमी नहीं थी लेकिन उनके जमाने में ऐसी बीमारी थी ही नहीं। इस जमाने के यह बीमारी इतनी सुखद हो गयी है कि हर कोई इसमें मुफ्तिला होने के लिए अथवा सब कुछ कुर्बान करने को तैयार बैठा है।
बीमारी का नाम है मीडिया

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