Thursday, 4 August 2005

कहैं कबीर सुनो भाई साधो...

आये भी वह गये भी खत्म फ़साना हो गया। पार्टी वालों की बल्ले-बल्ले रही। उधर नेता जी ने एक काम जरुर शानदार या बेमिसाल किया कि कबीर बाबा को समाजवादी की सदस्यता दे डाली। अब सुना जा रहा है कि बीनी बीनी रे झीनी चदरिया गा गा कर नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे घुमक्कड़ कबीर बाबा अपने राजनीतीकरण पर काफी परेशान दिख रहें हैं। नेता जी के जाने के बाद बिजली बाई की नौटंकी के उजडे़ स्टेज के पास उनसे अचानक मुलाकात हो गयी।

No comments:

Post a Comment